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॥ शम्भुस्तोत्रम् ॥

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नानायोनिसहस्रकोटिषु मुहुः संभूय संभूय तद्- गर्भावासनिरन्तदुःखनिवहं वक्तुं न शक्यं च तत् । भूयो भूय इहानुभूय सुतरां कष्टानि नष्टोऽस्म्यहं त्राहि त्वं करुणातरङ्गितदृशा शंभो दयाम्भोनिधे ॥ १ ॥ बाल्ये ताडनपीडनैर्बहुविधैः पित्रादिभिर्बोधितः तत्कालोचितरोगजालजनितैर्दुःखैरलं बाधितः । लीलालौल्यगुणीकृतैश्च विविधैर्दुश्चोष्टितैः क्लेशितः सोऽहं त्वां शरणं व्रजाम्यव विभो शंभो दयाम्भोनिधे ॥ २ ॥ तारुण्ये मदनेन पीडिततनुः कामातुरः कामिनी- सक्तस्तद्वशगः स्वधर्मविमुखः सद्भिः सदा दूषितः । कर्माकार्षमपारनारकफलं सौख्याशया दुर्मतिः त्राहि त्वं करुणातरङ्गितदृशा शंभो दयाम्भोनिधे ॥ ३ ॥ वृद्धत्वे गलिताखिलेन्द्रियबलो विभ्रष्टदन्तावलिः श्वेतीभूतशिराः सुजर्जरतनुः कम्पाश्रयोऽनाश्रयः । लालोच्छिष्टपुरीषमूत्रसलिलक्लिन्नोऽस्मि दीनोऽस्म्यहं त्राहि त्वं करुणातरङ्गितदृशा शंभो दयाम्भोनिधे ॥ ४ ॥ ध्यातं ते पदाम्बुजं सकृदपि ध्यातं धनं सर्वदा पूजा ते न कृता कृता स्ववपुषः स्त्रग्गन्धलेपार्चनैः । नान्नाद्यैः परितर्पिता द्विजवरा जिह्वैव संतर्पिता पापिष्ठेन मया सदाशिव विभो शंभो दयाम्भोनिधे ॥ ५ ॥ संध्यास

रामायण मनका 108 || Ramayan Manka 108 Lyrics

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रामायण मनका 108 || Ramayan Manka 108 Lyrics इस पाठ की एक माला प्रतिदिन करने से मनोकामना पूर्ण होती है, ऎसा माना गया है. रघुपति राघव राजाराम । पतितपावन सीताराम ।। जय रघुनन्दन जय घनश्याम । पतितपावन सीताराम ।। भीड़ पड़ी जब भक्त पुकारे । दूर करो प्रभु दु:ख हमारे ।। दशरथ के घर जन्मे राम । पतितपावन सीताराम ।। 1 ।। विश्वामित्र मुनीश्वर आये । दशरथ भूप से वचन सुनाये ।। संग में भेजे लक्ष्मण राम । पतितपावन सीताराम ।। 2 ।। वन में जाए ताड़का मारी । चरण छुआए अहिल्या तारी ।। ऋषियों के दु:ख हरते राम । पतितपावन सीताराम ।। 3 ।। जनक पुरी रघुनन्दन आए । नगर निवासी दर्शन पाए ।। सीता के मन भाए राम । पतितपावन सीताराम ।। 4।। रघुनन्दन ने धनुष चढ़ाया । सब राजो का मान घटाया ।। सीता ने वर पाए राम । पतितपावन सीताराम ।।5।। परशुराम क्रोधित हो आये । दुष्ट भूप मन में हरषाये ।। जनक राय ने किया प्रणाम । पतितपावन सीताराम ।।6।। बोले लखन सुनो मुनि ग्यानी । संत नहीं होते अभिमानी ।। मीठी वाणी बोले राम । पतितपावन सीताराम ।।7।। लक्ष्मण वचन ध्यान मत दीजो । जो कुछ दण्ड दास को