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दीपावली को पांच दिवसीय महोत्सव भी कहा जाता है। ( Diwali is a five day festival )

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1.कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी  कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को 'धनतेरस' भी कहा जाता है। इस दिन चिकित्सक भगवान धन्वंतरी की पूजा भी करते हैं। पुराणों के अनुसार कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय धन्वंतरी सफेद अमृत कलश लेकर अवतरित हुए थे। धनतेरस को सायंकाल यमराज के लिए दीपदान करना चाहिए। इससे अकाल मृत्यु का नाश होता है। धनतेरस को लोग नए बर्तन भी खरीदते हैं और धन की पूजा भी करते हैं। 2. कर्तिक कृष्ण चतुर्दशी कर्तिक कृष्ण चतुर्दशी 'नरक चतुर्दशी' या 'रूप चौदस' भी कहा जाता है। जो मनुष्यों नरक से डरता है उसे इस दिन चंद्रोदय के समय स्नान करना चाहिए व शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए। जो चतुर्दशी को प्रातःकाल तेल मालिश कर स्नान करता है। और रूप सँवारता है, उसे यमलोक के दर्शन नहीं करने पड़ते हैं। नरकासुर की स्मृति में चार दीपक भी जलाना चाहिए। पौराणीक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि रंति देव नामक एक पुण्यात्मा और धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था लेकिन जब मृत्यु का समय आया तो उनके समक्ष यमदूत आ खड़े हुए। यमदूत को सामने देख राजा अचंभित हुए और बोले मै

दिपावली क्या है .. ? चलिऐ जानते है। - Diwali Kya Hai Chaliye Jante hai

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दिपावली क्या है ​चलिऐ जानते है। इसके बारे में इसके पीछे कि कहानी। दिपावली तो सभी मनाते है परंन्तु क्या किसी ने यह जानने कि कोशिस की है कि दिपावली को मनाने के पीछे कारण क्या है, चलिऐ आपको बताते है। राम अयोध्या लौटे थे - प्राचीन ग्रन्थ रामायण में बताया गया है कि कई लोग दीपावली को 14 साल के वनवास पश्चात भगवान राम व उनकी पत्नी सीता और उनके भाई लक्ष्मण की वापसी के सम्मान के रूप में मानते हैं। निर्वाण दिवस दीपावली - प्राचीन महाकाव्य महाभारत के अनुसार कुछ लोग दीपावली को पांडवों के 12 वर्षों के वनवास व 1 वर्ष के अज्ञातवास के बाद उनकी वापसी के प्रतीक रूप में मानते हैं। और एक तरफ कुछ लोग दीपावली को भगवान विष्णु की पत्नी तथा उत्सव, धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी से जुड़ा हुआ मानते हैं। दीपावली का पांच दिवसीय महोत्सव देवताओं और राक्षसों द्वारा दूध के लौकिक सागर के मंथन से पैदा हुई लक्ष्मी के जन्म दिवस से शुरू होता है। दीपावली की रात वह दिन है जब लक्ष्मी ने अपने पति के रूप में विष्णु को चुना और फिर उनसे शादी की। मॉंं लक्ष्मी के साथ-साथ भक्त बाधाओं को दूर करने के प्रतीक गणेश, संगीत