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"गणेश चतुर्थी: हिन्दू संस्कृति में भगवान गणेश का महत्व"

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"गणेश चतुर्थी: हिन्दू संस्कृति में भगवान गणेश का महत्व"   गणेश चतुर्थी, हिन्दू धर्म में एक प्रमुख त्योहार है जो भगवान गणेश के जन्म के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भारत के विभिन्न हिस्सों में उत्सव के रूप में मनाया जाता है, लेकिन सबसे अधिक प्रमुखता महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में होती है। गणेश चतुर्थी का आयोजन भद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है, जो गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने घरों में खूबसुरत गणेश मूर्तियों की स्थापना करते हैं। ये मूर्तियाँ विभिन्न आकृतियों और आकारों में होती हैं, और लोग इन्हें अपने घरों में पूजते हैं। पूजा के दौरान विशेष प्रार्थनाएँ की जाती हैं, और गणेश के चरणों में पुष्प, धूप, और नैवेद्य चढ़ाए जाते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन लोग खूबसुरत वस्त्रों में तैयार होते हैं, और घरों को सजाते हैं। यह उत्सव जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है, और लोग दिन भर गणेश भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। गणेश चतुर्थी के दौरान, समाज में सामाजिक सद्भावना और एकता का पालन किया जाता है। लोग अपने

ॐ भद्रं कर्णेभिः मंत्र

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गणपति अथर्वशीर्ष" एक महत्वपूर्ण हिन्दू पाठ है जो भगवान गणेश के महत्व को व्यक्त करता है। यह पाठ गणेश चतुर्थी और अन्य धार्मिक अवसरों पर पठा जाता है। यहां मैं गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ दे रहा हूँ: गणपति अथर्वशीर्ष पाठ: ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवाः। भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः। स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभिः। व्यशेम देवहितं यदायुः। स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः। Mantra in Hinslish - Om Bhadram Karnnebhih Shrnnuyaama Devaah | Bhadram Pashyema-Akssabhir-Yajatraah | Sthirair-Anggais-Tussttuvaamsas-Tanuubhih | Vyashema Devahitam Yad-Aayuh | Svasti Na Indro Vrddha-Shravaah | Svasti Nah Puussaa Vishva-Vedaah | Svasti Nas-Taakssaryo Arisstta-Nemih | Svasti No Vrhaspatir-Dadhaatu || Om Shaantih Shaantih Shaantih || गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ गणेश के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए किया जाता है और यह विभिन्न संकटों से सुरक्षा प्रदान करने का उद्देश्य रखता है।