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नवरात्रि पर दिव्य चंडी हवन (Navratri pe Devi chandi hawan)

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सर्वप्रथम कुश के अग्रभाग से वेदी को साफ करें। जल से कुंड का लेपन करें। तृतीय क्रिया में वेदी के मध्य बाएं से  तीन रेखाएं दक्षिण से उत्तर की ओर पृथक-पृथक खड़ी खींचें, चतुर्थ में तीनों रेखाओं से यथाक्रम अनामिका व अंगूठे से कुछ मिटटी हवन कुण्ड से बाहर फेंकें। पंचम संस्कार में दाहिने हाथ से शुद्ध जल वेदी में छिड़कें। पंचभूत संस्कार से आगे की क्रिया में अग्नि प्रज्वलित करके अग्निदेव का पूजन करें। इन मंत्रों से शुद्ध घी की आहुति दें:— ॐ प्रजापतये स्वाहा। इदं प्रजापतये न मम। ॐ इन्द्राय स्वाहा। इदं इन्द्राय न मम। ॐ अग्नये स्वाहा। इदं अग्नये न मम। ॐ सोमाय स्वाहा। इदं सोमाय न मम। ॐ भूः स्वाहा। इदं अग्नेय न मम। ॐ भुवः स्वाहा। इदं वायवे न मम। ॐ ब्रह्मणे स्वाहा। इदं ब्रह्मणे न मम। ॐ विष्णवे स्वाहा। इदं विष्णवे न मम। ॐ श्रियै स्वाहा। इदं श्रियै न मम। ॐ षोडश मातृभ्यो स्वाहा। इदं मातृभ्यः न मम॥ नवग्र के मंत्र से आहुति दें। ऊँ ह्नां ह्नीं ह्नौं सः सूर्याय नमः।। ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः।। ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।। ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं स