संदेश

pawanputra लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

होली 2025: इतिहास, महत्व, सुरक्षा टिप्स और आधुनिक उत्सव की सम्पूर्ण गाइड | Holi Festival Guide in Hindi

चित्र
होली 2024: इतिहास, महत्व, रोचक तथ्य और आधुनिक तरीके | Complete Holi Guide होली 2024: रंगों के साथ संस्कृति का अनूठा संगम 🌈 📜 विषय सूची होली का ऐतिहासिक उद्गम भारत की विविध होली होली विशेष 5 पारंपरिक व्यंजन डिजिटल होली: नई परंपराएँ 1. होली की पौराणिक जड़ें: प्रह्लाद से फाग तक प्राचीन भारतीय ग्रंथों में होली का उल्लेख 'होलिकोत्सव' के रूप में मिलता है... क्यों जलाई जाती है होलिका? हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा का सांस्कृतिक महत्व... 2. भारत के कोने-कोने में होली के रंग 🎭 लट्ठमार होली (उत्तर प्रदेश) बरसाना की विशेष परंपरा जहाँ महिलाएँ पुरुषों को लाठियों से मारती हैं... होला मोहल्ला (पंजाब) सिख परंपरा में मनाया जाने वाला युद्ध कौशल प्रदर्शन... 3. होली की थाली: 5 पारंपरिक स्वाद 🍽️ व्यंजन ...

सुन्दर काण्ड - Sundarkand

चित्र
सुन्दर काण्ड श्रीजानकीवल्लभो विजयते श्रीरामचरितमानस ~~~~~~~~ पञ्चम सोपान सुन्दरकाण्ड श्लोक शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम् । रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम्।।1।। नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा। भक्तिं प्रयच्छ रघुपुङ्गव निर्भरां मे कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च।।2।। अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।3।। जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए।। तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दुख कंद मूल फल खाई।। जब लगि आवौं सीतहि देखी। होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी।। यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा। चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा।। सिंधु तीर एक भूधर सुंदर। कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर।। बार बार रघुबीर सँभारी। तरकेउ पवनतनय बल भारी।। जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता।। जिमि अमोघ रघुपति कर बाना। एही भाँति ...

श्री हनुमान चालीसा (Shri Hanuman Chalisa)

चित्र
।। श्री हनुमान चालीसा ।। ।।दोहा।। श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार | बरनौ रघुवर बिमल जसु , जो दायक फल चारि | बुद्धिहीन तनु जानि के , सुमिरौ पवन कुमार | बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार || ।।चौपाई। । जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिंहु लोक उजागर | रामदूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवन सुत नामा ||2|| महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी | कंचन बरन बिराज सुबेसा, कान्हन कुण्डल कुंचित केसा ||4| हाथ ब्रज औ ध्वजा विराजे कान्धे मूंज जनेऊ साजे | शंकर सुवन केसरी नन्दन तेज प्रताप महा जग बन्दन ||6| विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर | प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया रामलखन सीता मन बसिया ||8|| सूक्ष्म रूप धरि सियंहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा | भीम रूप धरि असुर संहारे रामचन्द्र के काज सवारे ||10|| लाये सजीवन लखन जियाये श्री रघुबीर हरषि उर लाये | रघुपति कीन्हि बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत सम भाई ||12|| सहस बदन तुम्हरो जस गावें अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावें | सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नार...

Ad - Multiplex