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चामुण्डा देवी की चालीसा - Chamunda Devi chalisa

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कहा जाता है कि देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों में से चामुण्डा देवी प्रमुख हैं। दुर्गा सप्तशती में चामुण्डा देवी की कथा का वर्णन किया गया है। माना जाता है कि चामुण्डा देवी की साधना करने से मनुष्य को परम सुख की प्राप्ति होती है। चलिए पढ़ते है चामुंडा देवी की चालीसा:    चामुण्डा देवी की चालीसा  दोहा नीलवरण मा कालिका रहती सदा प्रचंड । दस हाथो मई ससत्रा धार देती दुस्त को दांड्ड़  ।।   मधु केटभ संहार कर करी धर्म की जीत । मेरी भी बढ़ा हरो हो जो कर्म पुनीत  ।। चौपाई नमस्कार चामुंडा माता । तीनो लोक मई मई विख्याता ।। हिमाल्या मई पवितरा धाम है । महाशक्ति तुमको प्रडम है ।। मार्कंडिए ऋषि ने धीयया । कैसे प्रगती भेद बताया ।। सूभ निसुभ दो डेतिए बलसाली । तीनो लोक जो कर दिए खाली ।। वायु अग्नि याँ कुबेर संग । सूर्या चंद्रा वरुण हुए तंग ।। अपमानित चर्नो मई आए । गिरिराज हिमआलये को लाए ।। भद्रा-रॉंद्र्रा निट्टया धीयया । चेतन शक्ति करके बुलाया ।। क्रोधित होकर काली आई । जिसने अपनी लीला दिखाई ।। चंदड़ मूंदड़ ओर सुंभ पतए । कामुक वेरी लड़ने आए ।। पहले सुग्गृीव दूत को मा