संदेश

विश्वनाथाष्टकम् लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विश्वनाथाष्टकम् - Vishwanathstakam

चित्र
|| विश्वनाथाष्टकम् || गङ्गातरंगरमणीयजटाकलापं गौरीनिरन्तरविभूषितवामभागम् | नारायणप्रियमनंगमदापहारं वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम् ||1|| भावार्थ— जिनकी जटाएॅं गंगाजी की लहरों से सुन्दर प्रतीत होती है, जिनका वामभग सदा पार्वतीजी से सुशोभित रहता है, जो नारायणके प्रिय और कामदेव के मदका नाश करनेवाले हैं, उन काशीपति विश्वनाथ को भज ।।1।। वाचामगोचरमनेकगुणस्वप्रिरूपं वागीशविष्णुसुरसेवितपादपीठम् | वामेन विग्रहवरेण कलत्रवन्तं वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम् ||2|| भावार्थ— वाणीद्वारा जिनका वर्णन नहीं हो सकताए जिनके अनेक गुण और अनेक स्वरूप हैं, ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवता जिनकी चरणपादुका का सेवन करते हैं, जो अपने सुन्दर वामागं के द्वारा ही सपत्नीक हैं, उन काशीपति विश्वनाथ को भज ।।2।। भूताधिपं भुजगभूषणभूषितागं व्याघ्राजिनांबरधरं जटिलं त्रिनेत्रम् | पाशांकुशाभयवरप्रदशूलपाणिं वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम् ||3|| भावार्थ— जो भूतों के आधिपति हैं, जिनका शरीर सर्परूपी गहनों से विभूषत है, जो बाग की खाल का वस्त्र पहनते है, जिनके हाथों में पाश, अंकुश, अभय, वर और शूल हैं, उन जटाधरी