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देवी के 9 रूप..... Devi ke 9 Roop

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प्रथम माँ शैलपुत्री नवरात्र की शक्ति प्रथम माँ शैलपुत्री है। पैराणिक कथाओं के अनुसार माँ शैलपुत्री पूर्वजन्म में दक्षप्रजापति की पुत्री थी। एक बार दक्षप्रजापति ने यज्ञ किया। एक यज्ञ में दक्षप्रजापति सभी देवताओं को बुलाते हैं लेकिन शिव को आमंत्रित नहीं करते। अपने पति का यह अपमान उन्हें बर्दाश्त नहीं होता जिसके चलते वह योगाग्नि में जलकर भस्म हो जाती है। जब इसकी जानकारी भगवान शिव को होती है तो दक्षप्रजापति के घरजाकर तांडव मचा देते हैं भगवान का यह रूप काल - का लेश्वर का कहा गया। तथा अपनी पत्नी के शव को उठाकर प्रथ्वी के चक्कर लगाने लगते हैं। इसी दौरान सती के शरीर के अंग धरती पर अलग-अलग स्थानों पर गिरते हैं। यह अंग जिन 51 स्थानों पर गिरते हैं वहां शक्तिपीठ की स्थापित हो जाते हैं। का ही दूसरा स्वरूप पार्वती या शैलपुत्री कहा है। पर्वतराज की पुत्री होने के कारण ही माँ दुर्गा के प्रथम रूप का नाम शैलपुत्री ही शिवंगी है। सौभाग्य   प्रकृति और आयु की देवी है। ।। उपासना मंत्र ।। या देवी सर्वभूतेषु प्रकृति रूपेण संस्थिता   नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।  अर्थ :  हे माँ