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पार्वती जी की चालीसा - Parvati Ki Chalisa

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मॉं पार्वती जी को आदिशक्ति कहा जाता है। मान्यता के अनुसार काली, दुर्गा, अन्नपूर्णा, गौरा सब देवी पार्वती का ही रूप हैं। पार्वती जी की उपासना करने से सभी मन को शांति मिलती है तथा व्यक्ति के दुखों का अंत हो जाता है। पार्वती जी बहुत दयालु हैं यदि व्यक्ति अपनी गलतियों के लिए सच्चे मन से आराधना करें तो वह तुरंत क्षमा कर देती हैं। चलिए पार्वती चालीसा पढ़ के अपनी गलतियों की क्षमा मांगे । पार्वती जी की चालीसा  ॥ दोहा ॥ जय गिरी तनये डग्यगे शम्भू प्रिये गुणखानी गणपति जननी पार्वती अम्बे ! शक्ति ! भवामिनी ॥ चालीसा॥ ब्रह्मा भेद न तुम्हरे पावे , पांच बदन नित तुमको ध्यावे शशतमुखकाही न सकतयाष तेरो , सहसबदन श्रम करात घनेरो ।। तेरो पार न पाबत माता, स्थित रक्षा ले हिट सजाता आधार प्रबाल सद्रसिह अरुणारेय , अति कमनीय नयन कजरारे ।। ललित लालट विलेपित केशर कुमकुम अक्षतशोभामनोहर कनक बसन कञ्चुकि सजाये, कटी मेखला दिव्या लहराए ।। कंठ मदार हार की शोभा , जाहि देखि सहजहि मन लोभ बालार्जुन अनंत चाभी धारी , आभूषण की शोभा प्यारी ।। नाना रत्न जड़ित सिंहासन , टॉपर राजित हरी चारुरा