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चरणामृत और पंचामृत का महत्व और इसके बिना क्यों अधूरी है पूजा?

 कहा जाता है की हिंदू धर्म की कोई भी पूजा ​चरणामृत या पंजामृत के बिना पूरी नहीं होती है। परंन्तु इसके महत्व के बारे में बहुत कम लोग है जिनको यह बात पाता ​होगी चलिऐ आपको इसके महत्व के बारे में बताते है। चरणामृत क्या है? त्युहर अकालमृ णं सर्वव्याधिविनाशनम् ।  विष्णोः पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ।। चरणामृत दो अक्षरों को जोड के बना है, चरण एवं अमृत। यहां चरण शब्द का संबंध प्रभु के चरणों से है  अमृत शब्द का संबंध एक पवित्र जल है। ऐसा जल जो पहले तो साधारण पानी ही था किन्तु भगवान के चरणों से उसका मेल होने के बाद वह अमृत में तब्दील हो गया। पंचामृत क्या है? पंचामृत का मतलब होता है पांच अमृत यानि पांच पवित्र वस्तुओं से मिलकर बना अमृत, जो कि पंच मेवा से ( पांच तरह के मेवा) से मिलकर बनता है। पंचामृत कई रोगों में लाभदायक और मन को शांति प्रदान करने वाला होता है। इसका आध्यात्मिक पहलू भी है जैसे—  दूध पंचामृत का पहला भाग है। यह शुभ्रता का प्रतीक है अर्थात हमारा जीवन दूध की तरह निष्कलंक होना चाहिए। दही का गुण है कि यह दूध को अपने जैसा बनाता है। दही चढ़ाने का अर्थ यह है ​