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Maha Shivaratri (महाशिवरात्रि क्या है)

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महाशिवरात्रि क्या है इसका क्या महत्व है चलिए जानते है। महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इसे हर साल  फाल्गुन माह में 13वीं रात या 14वें दिन मनाया जाता हैै। इस त्योहार में श्रद्धालु पूरी रात जागकर भगवान शिव की आराधना में भजन गाते हैं। कुछ लोग पूरे दिन और रात उपवास भी करते हैं। शिव लिंग को पानी और बेलपत्र चढ़ाने के बाद ही वे अपना उपवास तोड़ते हैं। माना जाता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान मानवजाति के काफी निकट आ जाते है। मध्यरात्रि के समय ईश्वर मनुष्य के सबसे ज्यदा निकट होते है। यही करण है कि लोग शिवरात्रि के दिन रातभर जागते है महिलाओं के लिए शिवरात्रि का विशेष महत्व क्या है। अविवाहित महिलाएं भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं कि उन्हें उनके जैसा ही पति मिले। वहीं विवाहित महिलाएं अपने पति और परिवार के लिए मंगल कामना करती है। ऐसा माना जाता है। जब कोई महिला भगवान शिव से प्रार्थना करती है तो भगवान शिव उनकी प्रार्थना को आसानी से स्वीकार कर लेते है। भगवान शिव की पूजा में किसी विशेष सामग्री की जरूरत नहीं पड़ती है। सिर्फ पानी और बेलपत्र के जरिए भी श्रद्

भगवान शिव के विचित्र प्रतीक चिन्ह और उनका रहस्य चलिए जानते है (Let us know his secret symbol of Lord Shiva is bizarre)

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पराणादि शास्त्रों एवं देवालयों में भगवान शिव का मखमण्डल एवं बाह्म स्वरूप अत्यन्त सुन्दर, मनोहारी, प्रशान्त दिव्य—तेजमय, पूर्णानन्दमय एवं कल्याणमय वर्णित किया गया हैं। उन्होंने अभयमुद्रा धारण की हुई हैं तथा उनके मुाखरिन्द पर मन्द—मन्द मुस्कान की छटा छाई रहती है। भगवान शिव के सौम्य एवं प्रशान्त स्वरूप उनके विराट् व्यक्तित्व के साथ अनेक रहस्यपूर्ण एवं आश्चर्यमय पदार्थों का समावेश परिलक्षित होता है। जैसे रूद्राण किए हैं। उनकी सवारी वृषभ है और शिव कमण्डलू व भिक्षा पात्रादि ग्रहण किए हैं। जटाओं में गंगा धारण किए हुए तथा कण्ठ में कालकूट का विष, जहरीले सॉंप एवं समस्त शरीर अंगों पर भस्म धारण किए रहते हैं। भागवान शिव के अंग—संग र​हने वाली देवी पार्वती, गण, देव एवं अन्य विभिन्न ​वस्तुएं किसी न किसी महान् संदेश या उद्देश्य या प्रतीकात्मक रूप को लक्षित करते हैं। भगवान् शिव का चिन्मय आदि स्वरूप शिवलिंग माना गया है, जबकि प्रकृति रूपा पार्वती शिवलिंग की पीठाधार है—     पठिमम्बामयं सर्व शिवलिंग च चिन्मयम्।। ब्रह्मण्ड की आकृति भी शिवलिंग ​रूप है। शिवलिंग पूजा में शिव और शिक्ति दोनों की पूजा हो