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शिव तांडव स्तोत्र – Hindi Lyrics and Meaning

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Shiv Tandav Stotra Hindi Me - शिव तांडव स्तोत्रं जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌। डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्‌ ॥१॥ उनके बालों से बहने वाले जल से उनका कंठ पवित्र है, और उनके गले में सांप है जो हार की तरह लटका है, और डमरू से डमट् डमट् डमट् की ध्वनि निकल रही है, भगवान शिव शुभ तांडव नृत्य कर रहे हैं, वे हम सबको संपन्नता प्रदान करें। जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि। धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ॥२॥ मेरी शिव में गहरी रुचि है, जिनका सिर अलौकिक गंगा नदी की बहती लहरों की धाराओं से सुशोभित है, जो उनकी बालों की उलझी जटाओं की गहराई में उमड़ रही हैं? जिनके मस्तक की सतह पर चमकदार अग्नि प्रज्वलित है, और जो अपने सिर पर अर्ध-चंद्र का आभूषण पहने हैं। धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे। कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥ मेरा मन भगवान शिव में अपनी खुशी खोजे, अद्भुत ब्

भगवान शिव जी के 108 नाम है

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 शिवजी की कल्पना एक ऐसे देव के रूप में की जाती है जो कभी संहारक तो कभी पालक होते हैं। भस्म, नाग, मृग चर्म, रुद्राक्ष आदि भगवान शिव की वेष- भूषा व आभूषण हैं। इन्हें संहार का देव भी माना गया है। भगवान शिव, ज्योतिष शास्त्र व वारों (दिनों) के रचयिता भी हैं। भगवान शिव की उपासना मूर्ति व शिवलिंग रूप में की जाती है। ये शिव जी कुछ मन्त्रों की सूची है इन्हें पढने के लिए मंत्र पर क्लिक (click ) करे-         1.  शिवताण्डवस्तोत्रम् - Shiv Tandav Stotram               2.  श्री शिवापराधक्षमापणस्तोत्रम् - Shiv Aprdham ksamapana Stotram               3.  श्री शिव मानसपूजा - Shri Shiv Manasa Puja               4.  श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र - Shri Shiv Panchakshar Stotram               5.  शिवजी की आरती - Shri Shiv Ji Ki Aarti               6.  श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) शिव के कई रूप हैं, इन रूपों के नाम भी अलग-अलग हैं। शिवजी के विभिन्न नामों में से मुख्य 108 नाम निम्न हैं: । ।   भगवान शिव जी के  108  नाम  है । । 1. शिव – कल्याण स्वरूप 2. महेश्वर – माया के अधीश्व

लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् - Lingashtakam

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ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगम निर्मलभासित शॊभित लिंगम । जन्मज दुःख विनाशक लिंगम तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम ॥ 1 ॥ दॆवमुनि प्रवरार्चित लिंगम कामदहन करुणाकर लिंगम । रावण दर्प विनाशन लिंगम तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम ॥ 2 ॥ सर्व सुगन्ध सुलॆपित लिंगम बुद्धि विवर्धन कारण लिंगम । सिद्ध सुरासुर वन्दित लिंगम तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम ॥ 3 ॥ कनक महामणि भूषित लिंगम फणिपति वॆष्टित शॊभित लिंगम । दक्ष सुयज्ञ निनाशन लिंगम तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम ॥ 4 ॥ कुङ्कुम चन्दन लॆपित लिंगम पङ्कज हार सुशॊभित लिंगम । सञ्चित पाप विनाशन लिंगम तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम ॥ 5 ॥ दॆवगणार्चित सॆवित लिंगम भावै-र्भक्तिभिरॆव च लिंगम । दिनकर कॊटि प्रभाकर लिंगम तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम ॥ 6 ॥ अष्टदलॊपरिवॆष्टित लिंगम सर्वसमुद्भव कारण लिंगम । अष्टदरिद्र विनाशित लिंगम तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम ॥ 7 ॥ सुरगुरु सुरवर पूजित लिंगम सुरवन पुष्प सदार्चित लिंगम । परात्परं परमात्मक लिंगम तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम ॥ 8 ॥ लिङ्गाष्ट