माँ शकुंभारी देवी चालीसा - Maa Shakumbhari Devi Chalisa
माँ शकुंभारी देवी चालीसा दोहा दाहिने भीमा ब्रामरी अपनी छवि दिखाए | बाई ओर सतची नेत्रो को चैन दीवलए | भूर देव महारानी के सेवक पहरेदार | मा शकुंभारी देवी की जाग मई जे जे कार || चौपाई जे जे श्री शकुंभारी माता | हर कोई तुमको सिष नवता || गणपति सदा पास मई रहते | विघन ओर बढ़ा हर लेते || हनुमान पास बलसाली | अगया टुंरी कभी ना ताली || मुनि वियास ने कही कहानी | देवी भागवत कथा बखनी || छवि आपकी बड़ी निराली | बढ़ा अपने पर ले डाली || अखियो मई आ जाता पानी | एसी किरपा करी भवानी || रुरू डेतिए ने धीयाँ लगाया | वार मई सुंदर पुत्रा था पाया || दुर्गम नाम पड़ा था उसका | अच्छा कर्म नही था जिसका || बचपन से था वो अभिमानी | करता रहता था मनमानी || योवां की जब पाई अवस्था | सारी तोड़ी धृम वेवस्था || सोचा एक दिन वेद छुपा लू | हर ब्रममद को दास बना लू || देवी देवता घबरागे | मेरी सरण मई ही आएगे || विष्णु शिव को छोड़ा उसने | ब्रहांमजी को धीयया उसने || भोजन छोड़ा फल ना खाया |वायु पीकेर आनंद पाया || जब ब्रहाम्मा का दर्शन पाया | संत भाव हो वचन सुनाया || चारो वेद भक्ति