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कामना सिद्धि के लिए जपें मां दुर्गा का यह मंत्र || Navdurga ।। नवसर्जन मंत्र ।। Mahatma Mantra

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साधारण तरीके से माता का आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, चंदन, कुंमकुंम, हल्दी, सिंदूर इत्यादि समर्पण कर धूप, दीप, नेवैद्य, ताम्बूल, आरती, पुष्पांजलि, प्रदक्षिणा कर क्षमा-प्रार्थना कर जप करें। नवार्ण मंत्र सबसे प्रशस्त मंत्र माना गया है।  देवी इससे प्रसन्न हो जाती है और आपकी सभी मनोकामनाएं इसी से पूर्ण हो जाती हैं तथा देवी की कृपा एवं आशीर्वाद इस से मिल जाता है। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।  ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।  ' ऐं' श्री महासरस्वती का बीज मंत्र है। वाणी, ऐश्वर्य, बुद्धि तथा ज्ञान देने वाला है। ' ह्रीं' श्री महालक्ष्मी का बीज मंत्र है। ऐश्वर्य, धन देने वाला है। ' क्लीं' शत्रुनाशक महाकाली का बीज मंत्र है। जो भी मुख्य आवश्यकता हो, वह बीज मंत्र के आदि में लगाकर जप करें, जैसे- ॐ ह्रीं ऐं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।  ॐ क्लीं ऐं ह्रीं चामुण्डायै विच्चे।।  गायत्री मंत्र के आदि तथा अंत में निर्दिष्ट बीज मंत्रों का उपयोग 3 बार कर लाभ लिया जा सकता है। 'श्रीं' धन के लिए, जैसे '

Maa Vaishno Devi Chalisa (माँ वैष्णो देवी चालीसा)

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Maa Vaishno Devi Chalisa ( माँ वैष्णो देवी चालीसा ) सीपवा स्वरूपा सर्वा गुणी ! (मेरी मैया) वैष्णो कष्ट निदान !! शक्ति भक्ति दो हो ह्यूम ! दिव्या शक्ति की ख़ान !! अभ डायइनि भय मोचनी ! करुणा की अवतार !! संकट ट्रस्ट भक्तों का ! कर भी दो उधार !! !! जय जय अंबे जय जगदांबे !! गुफा निवासिनी मंगला माता ! कला तुम्हारी जाग विख्याता !! अल्पा भूदी हम मूड अज्ञानी ! ज्ञान उजियारा दो महारानी !! दुख सागर से ह्यूम निकालो ! भ्रम के भूतों से मया बचलो !! पूत के सब अवरोध हटाना ! अपनी च्चाया में मया च्छुपाना !! !! जय जय अंबे जय जगदांबे !! भक्त वत्सला भैरव हरिणी ! आध अनंता मया जाग जननी !! दिव्या ज्योति जहाँ होये उजागर ! वहाँ उदय हो धर्म दिवाकर !! पाप नाशीनी पुणे की गंगा ! तेरी सुधा से तरें कुसंगा !! अमृतमयी तेरी मधुकर वाणी ! हर लेती अभिमान भवानी !! !! जय जय अंबे जाई जगदांबे !! सुखद सामग्री दो भागटन को ! करो फल दायक मेरी चिंतन को !! दुख में ना विचलित होने देना ! धीरज धर्म ना खोने देना !! उत्साह वर्धक कला तुम्हारी ! मार्ग दर्शक बने हमारी !! घेरे कभी जो विषम अवस्था ! तू ही सुझान