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शिवताण्डवस्तोत्रम् - Shiv Tandav Stotram Mantra

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ये शिव जी कुछ मन्त्रों की सूची है इन्हें पढने के लिए मंत्र पर क्लिक (click ) करे-                  1.    श्री शिव मानसपूजा - Shri Shiv Manasa Puja               2.  श्री शिवापराधक्षमापणस्तोत्रम् - Shiv Aprdham ksamapana Stotram               3.  श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa)               4.  श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र - Shri Shiv Panchakshar Stotram               5.  भगवान शिव जी के 108 नाम है              6.  शिवजी की आरती - Shri Shiv Ji Ki Aarti                7.  Shiva Tandava Stotram Lyrics 8.   Shiv Tandav Stotram Lyrics in Hindi- शिव तांडव स्तोत्रं || शिवताण्डवस्तोत्रम् || ||श्रीगणेशाय नमः || जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले, गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम् | डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं, चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ||१|| जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिम्प निर्झरी, विलो लवी चिवल्लरी विराजमान मूर्धनि | धगद् धगद् धगज्ज्वलल् ललाट पट्ट पावके किशोर चन्द्र शेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ||२|| धरा धरेन्द्र नंदिनी विलास ब

भगवान शिव के पूजन करने की विधि

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पूजन सामग्री देव मूर्ति के स्नान के लिए तांबे का पात्र, तांबे का लोटा, दूध, अर्पित किए जाने वाले वस्त्र । चावल, अष्टगंध, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, चंदन, धतूरा, अकुआ के फूल, बिल्वपत्र, जनेऊ, फल, मिठाई, नारियल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद व शक्कर), सूखे मेवे, पान, दक्षिणा में से जो भी हो। सकंल्प लें पूजन शुरू करने से पहले सकंल्प लें। संकल्प करने से पहले हाथों मेे जल, फूल व चावल लें। सकंल्प में जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस वर्ष, उस वार, तिथि उस जगह और अपने नाम को लेकर अपनी इच्छा बोलें। अब हाथों में लिए गए जल को जमीन पर छोड़ दें। संकल्प का उदाहरण जैसे 17/2/2015 को श्री शिव का पूजन किया जाना है। तो इस प्रकार संकल्प लें। मैं (\अपना नाम बोलें) विक्रम संवत् 2071 को, फाल्गुन मास के चतुदर्शी तिथि को मंगलवार के दिन, श्रवण नक्षत्र में, भारत देश के मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में महाकाल तीर्थ में इस मनोकामना से (मनोकामना बोलें) श्री शिव का पूजन कर रही / रहा हूं। आवाहन (शिव जी को आने का न्यौता देना) ऊँ साम्ब शिवाय नमः आव्हानयामि स्थापयामि कहते हुए मूर्ति पर चावल चढ़ाएं। आवाहन का अर्थ

लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् - Lingashtakam

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ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगम निर्मलभासित शॊभित लिंगम । जन्मज दुःख विनाशक लिंगम तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम ॥ 1 ॥ दॆवमुनि प्रवरार्चित लिंगम कामदहन करुणाकर लिंगम । रावण दर्प विनाशन लिंगम तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम ॥ 2 ॥ सर्व सुगन्ध सुलॆपित लिंगम बुद्धि विवर्धन कारण लिंगम । सिद्ध सुरासुर वन्दित लिंगम तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम ॥ 3 ॥ कनक महामणि भूषित लिंगम फणिपति वॆष्टित शॊभित लिंगम । दक्ष सुयज्ञ निनाशन लिंगम तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम ॥ 4 ॥ कुङ्कुम चन्दन लॆपित लिंगम पङ्कज हार सुशॊभित लिंगम । सञ्चित पाप विनाशन लिंगम तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम ॥ 5 ॥ दॆवगणार्चित सॆवित लिंगम भावै-र्भक्तिभिरॆव च लिंगम । दिनकर कॊटि प्रभाकर लिंगम तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम ॥ 6 ॥ अष्टदलॊपरिवॆष्टित लिंगम सर्वसमुद्भव कारण लिंगम । अष्टदरिद्र विनाशित लिंगम तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम ॥ 7 ॥ सुरगुरु सुरवर पूजित लिंगम सुरवन पुष्प सदार्चित लिंगम । परात्परं परमात्मक लिंगम तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम ॥ 8 ॥ लिङ्गाष्ट

शिवमहिम्न् स्तोत्र - Shivmahimanh Stotra

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।। शिवमहिम्न् स्तोत्र ।। श्रावण मास में भोलेनाथ शंकर की सादगी का वर्णन करने से ‍शिव प्रसन्न होते हैं। शिव के इस महिम्न स्तोत्रम् में शिव के दिव्य स्वरूप एवं उनकी सादगी का वर्णन है। महिम्नः पारं ते परमविदुषो यद्यसदृशी स्तुतिर्ब्रह्मादीनामपि तदवसन्नास्त्वयि गिरः अथाऽवाच्यः सर्वः स्वमतिपरिणामावधि गृणन् ममाप्येष स्तोत्रे हर निरपवादः परिकरः हे हर !!! आप प्राणी मात्र के कष्टों को हराने वाले हैं। मैं इस स्तोत्र द्वारा आपकी वंदना कर रहा हूं जो कदाचित आपके वंदना के योग्य न भी हो पर हे महादेव स्वयं ब्रह्मा और अन्य देवगण भी आपके चरित्र की पूर्ण गुणगान करने में सक्षम नहीं हैं। जिस प्रकार एक पक्षी अपनी क्षमता के अनुसार ही आसमान में उड़ान भर सकता है उसी प्रकार मैं भी अपनी यथाशक्ति आपकी आराधना करता हूं।  अतीतः पंथानं तव च महिमा वाङ्मनसयोः अतद्व्यावृत्त्या यं चकितमभिधत्ते श्रुतिरपि स कस्य स्तोत्रव्यः कतिविधगुणः कस्य विषयः पदे त्वर्वाचीने पतति न मनः कस्य न वचः हे शिव !!! आपकी व्याख्या न तो मन , ना ही वचन द्वारा ही संभव है। आपक