भगवान शिव के पूजन करने की विधि

पूजन सामग्री

देव मूर्ति के स्नान के लिए तांबे का पात्र, तांबे का लोटा, दूध, अर्पित किए जाने वाले वस्त्र । चावल, अष्टगंध, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, चंदन, धतूरा, अकुआ के फूल, बिल्वपत्र, जनेऊ, फल, मिठाई, नारियल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद व शक्कर), सूखे मेवे, पान, दक्षिणा में से जो भी हो।

सकंल्प लें
पूजन शुरू करने से पहले सकंल्प लें। संकल्प करने से पहले हाथों मेे जल, फूल व चावल लें। सकंल्प में जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस वर्ष, उस वार, तिथि उस जगह और अपने नाम को लेकर अपनी इच्छा बोलें। अब हाथों में लिए गए जल को जमीन पर छोड़ दें।

संकल्प का उदाहरण
जैसे 17/2/2015 को श्री शिव का पूजन किया जाना है। तो इस प्रकार संकल्प लें। मैं (\अपना नाम बोलें) विक्रम संवत् 2071 को, फाल्गुन मास के चतुदर्शी तिथि को मंगलवार के दिन, श्रवण नक्षत्र में, भारत देश के मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में महाकाल तीर्थ में इस मनोकामना से (मनोकामना बोलें) श्री शिव का पूजन कर रही / रहा हूं।

आवाहन (शिव जी को आने का न्यौता देना)
ऊँ साम्ब शिवाय नमः आव्हानयामि स्थापयामि कहते हुए मूर्ति पर चावल चढ़ाएं। आवाहन का अर्थ है कि भगवान शिव को अपने घर में आने का बुलावा देना।

आसन ( शिव जी को बैठने के लिए स्थान देना)
ऊँ साम्ब शिवाय नमः आसनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि कहते हुए आसन दें। आसन का अर्थ है कि भगवान शिव को घर के पूजा घर में विराजने के लिए आसन दिया है।

पाद्यं ( भगवान शिव के पैर धुलाना)
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पादयो : पाद्यं समर्पयामि कहते हुए पैर धुलाएं।

अर्घ ( हाथ धुलाना)
आचमनी में जल, पुष्प, चावल लें। ऊँ साम्ब शिवाय नमः हस्तयोः अर्घं समर्पयामि कहते हुए हाथों को धुलाएं।

आचमन (मुख शुद्धि करना)
ऊँ साम्ब शिवाय नमः आचमनीयम् जलं समर्पयामि कहते हुए आचमन के लिए जल छोड़े। आचमन का अर्थ होता है मुख शुद्धि करना।

पंचामृत से स्नान कराना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पंचामृत स्नानं समर्पयामि कहते हुए पंचामृत से नहलाएं। पंचामृत का अर्थ है कि दूध, दही, शक्कर, शहद व घी का मिश्रण। इन पांचों चीजों से भगवान को नहलाना।

शुद्ध जल से स्नान कराना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि। कहते हुए शुद्ध जल से स्नान कराएं।

वस्त्र अर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः वस्त्रोपवस्त्रम् समर्पयामि कहते हुए वस्त्र अर्पित करें।

गन्ध अर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः गन्धं समर्पयामि। चंदन, अष्टगंध इत्यादि सुगंधित द्रव्यों को लगाएं।

पुष्प अर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पुष्पं समर्पयामि कहते हुए आक, धतुरा, चंपा के पुष्प चढ़ाएं।

बिल्व पत्र अर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः बिल्वपत्रं समर्पयामि कहते हुए बिल्व पत्र अर्पित करें।

अक्षत (चावल) अर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः अक्षताम् समर्पयामि। कहते हुए 11 या 21 चावल अर्पित करें। अक्षत का अर्थ है आखा। ध्यान रखें कि अक्षत टूटे हुए न हों।

धूप दिखाना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः धूपम् आघर्पयामि कहते हुए धूप दिखाएं। अपने हाथों से धूप पर से हाथ फिरा कर शिव पर छाया करें।

दीप दिखाना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः दीपम् दर्शयामि। कहते हुए दीपक दिखाएं। अपने हाथों से दीपक पर से हाथ फिरा कर भगवान शिव पर छाया करें।

आरती करें
ऊँ साम्ब शिवाय नमः आरार्तिक्यम् समर्पयामि कहते हुए आरती अर्पित करें।

प्रदक्षिणा (परिक्रमा) करें
भगवान शिव की परिक्रमा करें। शास्त्रों में भगवान शिव की आधी ही प्रदक्षिणा करने का उल्लेख किया गया है। जलाधारी का लंधन नहीं किया जाता है। परिक्रमा करने के बाद भगवान शिव की मूर्ति के सामने यह कहते हुए प्रदक्षिणा समर्पित करें।
ऊँ साम्ब शिवाय नमः प्रदक्षिणा समर्पयामि।

पुष्पांजलि अर्पित करें
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पुष्पांजलि समर्पयामि कहते हुए हाथ में लिए पुष्पों को भगवान शिव को समर्पित कर दें।

नेवैद्य अर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः नेवैद्यम् निवेदयामि कहते हुए पंचामृत का भोग लगाएं।

फल समर्पित करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः फलम् समर्पयामि कहते हुए फल अर्पित करें।

मिठाई का भोग लगाएं
ऊँ साम्ब शिवाय नमः मिष्ठान्न भोजनम् समर्पयामि कहते हुए मीठा भोजन मिठाई अर्पित करें।

पंचमेवा समर्पयामि
ऊँ साम्ब शिवाय नमः पंचमेवा भोजनम् समर्पयामि कहते हुए पंचमेवा अर्पित करें।

आचमन करना
ऊँ साम्ब शिवाय नमः नेवैद्यांति जलं आचमनम् समर्पयामि कहते हुए आचमन के लिए जल छोड़े। भगवान को नेवैद्य अर्पित करने के बाद मुख शुद्धि के लिए आचमन करवाया जाता है।

ताम्बूल ( पान खिलाना )
ऊँ साम्ब शिवाय नमः तांबूल समर्पयामि कहते हुए पान अर्पित करें। भगवान को पान का भोग लगाएं।

द्रव्य दक्षिणा समर्पित करें
ऊँ साम्ब शिवाय नमः यथाशक्ति द्रव्य दक्षिणा समर्पयामि कहते हुए दक्षिणा समर्पित करें।

क्षमा-प्रार्थना
क्षमा-प्रार्थना पूजन में रह गई किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए भगवान शिव से क्षमा मांगे। जीवन में सुख समृद्धि बनाये रखने की प्रार्थना करें।

शिव पूजन की सरल विधि
सर्वप्रथम गणेश पूजन करें। भगवान गणेश को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। गंध, पुष्प, अक्षत अर्पित करें। अब भगवान शिव का पूजन शुरु करें। गृहस्थ जीवन में भगवान शिव की पारद प्रतिमा का पूजन सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। सफेद आक या स्फटिक की प्रतिमा का पूजन से भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है।

सबसे पहले जिस मूर्ति में भगवान शिव की पूजा की जानी है। उसे अपने पूजा घर में स्थान दें। मूर्ति में भगवान शिव का आवाहन करें। भगवान शिव को अपने घर में सम्मान सहित स्थान देें। अब भगवान शिव को स्नान कराएं। स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और वापिस जल से स्नान कराएं।

अब भगवान को वस्त्र पहनाएं। वस्त्रों के बाद आभूषण और फिर यज्ञोपवित (जनेऊ) पहनाएं। अब पुष्पमाला पहनाएं। सुगंधित इत्र अर्पित करें। अब तिलक करें। तिलक के लिए अष्टगंध या चंदन का प्रयोग करें। अब धूप व दीप अर्पित करें। भगवान शिव को धतूरा, आक के फूल विशेष प्रिय है। बिल्वपत्र अर्पित करें। 11 या 21 चावल अर्पित करें। श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक लगाएं। आरती करें। आरती के पश्चात् परिक्रमा करें। अब नेवैद्य अर्पित करें। भगवान शिव के पूजन के समय ‘‘ऊँ नमः शिवाय’’ का जप मन में करते रहें।

शिव- पार्वती पूजन की सरल विधि
सर्वप्रथम गणेश पूजन करें। गणेश जी को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। गंध, पुष्प, अक्षत से पूजन करें।

अब देव मूर्ति में शिव-पार्वती पूजन करें। शिव-पार्वती को स्नान कराएं। स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और वापिस जल से स्नान कराएं। शिव-पार्वती को वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद फूलों के आभूषण पहनाएं। अब पुष्पमाला पहनाएं। अब तिलक करें। ‘‘ऊँ साम्ब शिवाय नमः’’ कहते हुए भगवान शिव को अष्टगंध का तिलक लगाएं। ‘‘ऊँ गौर्ये नमः’’ कहते हुए माता पार्वती को कुमकुम का तिलक लगाएं। अब धूप व दीप अर्पित करें। फूल अर्पित करें। श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक लगाएं। आरती करें। आरती के पश्चात् परिक्रमा करें। अब नेवैद्य अर्पित करें। भगवान शिव और पार्वती का बिल्व पत्र से पूजन करें। कनेर के पुष्प अर्पित करें। गौरी शंकर के पूजन के समय ‘‘ऊँ उमामहेश्वराभ्यां नमः’’ मंत्र का जप करते रहें।

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