भगवान शिव कौन है ( who is god shiva)

।। भगवान शिव कौन है ।।



भगवान शिव हिन्दू धर्म में त्रिदेवों में से एक माने जाते हैं। हिन्दू मान्यतानुसार भगवान शिव संहार करने वाले माने जाते हैं। जो इस संसार में आता है उसे जाना भी होता है और भगवान शिव इसी कार्य के कर्ता माने जाते हैं। भगवान शिवजी के विषय में सभी महत्वपूर्ण जानकारियां शिव पुराण में दी गई हैं। हिन्दू धर्म में शिवजी को मानने वाले भक्तों के संप्रदाय को शैव कहते हैं।

।। भगवान शिव का मंत्र ।।...

ऊँ नम: शिवाय" यह षडक्षर मंत्र सभी दुखों को दूर करने वाला मंत्र माना गया है। 'ऊँ' भगवान शिव का एकाक्षर मंत्र हैं। 'नम: शिवाय' भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र है।

।। भगवान शिव का परिवार ।।

भगवान शिव के दो विवाह हुए। दोनों ही बार उनका विवाह भगवती के अवतारों से हुआ। पहला राजा दक्ष की पुत्री सती के साथ और दूसरा हिमालय पुत्री देवी पार्वती के साथ। भगवान शिव के दो पुत्र हैं कार्तिकेय और भगवान गणेश। कई जगह शिवांशों यानि शिव के अंशों का वर्णन किया गया जिनमें अंधक नामक शिवांश सबसे प्रमुख हैं।

।। शिवलिंग ।।

विश्व कल्याण के लिए भगवान शिव संसार में शिवलिंग के रूप में विद्यमान हैं। कहा जाता है कि शिवलिंग में साक्षात भगवान शिव स्वंय वास करते हैं। भारत में कई जगह शिवलिंग पाए जाते हैं, इनमें से बारह अहम ज्योतिर्लिंग हैं जैसे काशी विश्वनाथ, रामेश्वरम आदि।

।। काशी ।।

भगवान शिव का निवास कैलाश पर्वत पर है। लेकिन उनकी प्रिय नगरी है काशी। पुराणों के अनुसार काशी के कण-कण में शिव विराजमान हैं।

।। भगवान शिव की प्रिय वस्तुएं ।।


।। रुद्राक्ष ।।

भगवान शिव के आभूषणों में रुद्राक्ष का अहम महत्त्व है। कहा जाता है कि त्रिपुरासुर नामक राक्षस के वध के बाद भगवान शिव के नेत्रों से गिरे अश्रु बिन्दुओं से वृक्ष उत्पन्न हुए और रुद्राक्ष के नाम से प्रसिद्ध हुए।

।। भस्म ।।

भगवान भोलेनाथ भस्म में रमते हैं। मान्यता है कि शिवजी की पूजा भस्म के बिना पूर्ण नहीं होती।

।। बेलपत्र ।। 

भगवान शंकर का एक नाम भोलेनाथ भी है क्योंकि वह बहुत भोले है और बहुत जल्दी किसी की भी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं। उनकी पूजा में छत्तीस भोग नहीं लगते वह तो मात्र भांग, धतूरे और बेलपत्र के चढ़ावे से प्रसन्न हो जाते हैं।

।। महाशिवरात्रि ।।

महाशिवरात्रि हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है। काहा जाता है की सृष्टि की रचना के समय इसी दिन आधि रात को भगवान शिव, ब्रह्मा जी से रुद्र रूप में अवतरित हुए थे।

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