धनतेरस पूजा विधि - Dhanteras Poojan Vidhi


कार्तिक का महिना वैदिक ज्योतिष के हिसाब से बहुत ज्यादा महत्तव रखता है। इस महीने में बहुत से महत्वपूर्ण त्यौहार आते हैं और साधना के लिए भी ये उपयुक्त समय होता है। कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष के तेरहवे दिन “धनतेरस” नाम का त्यौहार भारत में मनाया जाता है।
पांच महत्वापोरना दिन-
धन तेरस के दिन महत्त्वपूर्ण चीजे खरीदने का रिवाज है, सोना-चाँदी के जेवर आदि खरीदने का रिवाज है। वास्तव में धन तेरस के दिन से आने वाले पांच दिन बहुत ही महत्त्वपूर्ण होते हैं। इसके ठीक दुसरे दिन "नरक चतुर्दशी” मनाई जाती है जिस दिन लोग विशेष तौर पर सफाई करके माँ लक्ष्मी को आमंत्रित करते हैं। “नरक चतुर्दशी” के बाद दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है।  उसके बाद गोवेर्धन की पूजा होती है और उसके अगले दिन “भाई दूज” मनाया जाता है। अतः धन तेरस के दिन से लोग व्यस्त हो जाते हैं विभिन्न प्रकार के कर्म कांडो में।।

धन तेरस के दिन लोग घर में उपयोग में आने वाले बर्तन,  सोना-चांदी के जेवर,  आदि खरीदते हैं। ये माना जाता है  की धनतेरस की दिन कोई भी वास्तु लेना शुभ होता है, ओर आपको कमियाबी मिलती है एवं आपके घर खुशियों का आगमन होता है। एक और परंपरा के अनुसार इस दिन धन के राजा कुबेर की पूजा होती है। यमराज की पूजा भी होती है महालक्ष्मी जी के साथ। धनतेरस की शाम को यमराज के नाम से दीप दान किया जाता है।


चलिये अब जानते हैं की किस प्रकार से आसानी से हम धन तेरस की पूजा कर सकते हैं ?
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धनतेरस के दिन शुभ महूरत में एक कलश में 5 सुपारी, 1 चांदी का सिक्का,  दुर्वा घास , हल्दी का एक छोटा टुकड़ा, 9 रत्न,  डालकर रखिये फिर उस पर एक प्लेट में चावल भर के कलश के ऊपर रखें और उस पर एक श्रीफल रखे।
इस प्रकार से कलश स्थापना के बाद कलश की पंचोपचार पूजा करे और उसके बाद देवी और देवता से परार्थना करे की आपको आशीर्वाद दे।
दीप दान के बाद भोग या नैवेद्य भी अर्पित कीजिये।
शाम को यमराज(मृत्यु के देवता सूर्य के पुत्र) के नाम से दीप दान करे और यम स्त्रोत का पाठ करे.
इसी दिन श्री यन्त्र की पूजा करना भी शुभ होता है, अपने सामर्थ्य के अनुसार आप भोज पत्र, चांदी या सोने में बने श्री यन्त्र की स्थापना कर सकते हैं।


धनत्रयोदशी – Dhanteras Yamdeep daan Mantra
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यज: प्रीयतामिति॥

इस मंत्र का अर्थ है-
त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों।
इस मंत्र के द्वारा लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं।

धनतेरस कुबेर मंत्र - Dhanteras Kuber Mantra
धनदाय नमस्तुभ्यम निधिपद्माधिवाय च 
भवन्तु त्वत्प्रसादान्मे धन धन्यदिसेम्पध 


ये भी जरुरी है की हम अपनी पूजा पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से करे और पवित्रता बनाए रखे जिससे की आपको कुबेरयमराज और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सके।

अतः मन से पूजा करे अपने बड़ों की सेवा करे दूसरों को खुशियाँ बाँटें और भगवान् की कृपा प्राप्त करे। 

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