होली 2025: इतिहास, महत्व, सुरक्षा टिप्स और आधुनिक उत्सव की सम्पूर्ण गाइड | Holi Festival Guide in Hindi

चित्र
होली 2024: इतिहास, महत्व, रोचक तथ्य और आधुनिक तरीके | Complete Holi Guide होली 2024: रंगों के साथ संस्कृति का अनूठा संगम 🌈 📜 विषय सूची होली का ऐतिहासिक उद्गम भारत की विविध होली होली विशेष 5 पारंपरिक व्यंजन डिजिटल होली: नई परंपराएँ 1. होली की पौराणिक जड़ें: प्रह्लाद से फाग तक प्राचीन भारतीय ग्रंथों में होली का उल्लेख 'होलिकोत्सव' के रूप में मिलता है... क्यों जलाई जाती है होलिका? हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा का सांस्कृतिक महत्व... 2. भारत के कोने-कोने में होली के रंग 🎭 लट्ठमार होली (उत्तर प्रदेश) बरसाना की विशेष परंपरा जहाँ महिलाएँ पुरुषों को लाठियों से मारती हैं... होला मोहल्ला (पंजाब) सिख परंपरा में मनाया जाने वाला युद्ध कौशल प्रदर्शन... 3. होली की थाली: 5 पारंपरिक स्वाद 🍽️ व्यंजन ...

चिंतपूर्णी आरती - Shri Chintpoorni Aarti

चिंतपूर्णी मंदिर, ऊना ( हिमांचल) में समुद्र स्तर से ऊपर 940 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह एक महत्‍वपूर्ण और पवित्र शक्तिपीठ है मंदिर से हिल स्‍टेशन भारवेन की दूरी मात्र 3 किमी. है। इस मंदिर को सारस्वत पंडित माई दास द्वारा स्‍थापित किया गया था।
मंदिर का मुख्‍य आकर्षण एक गर्भ ग्रह और गर्भग्रह अंतरतम है जहां देवी की प्रतिमा स्‍थापित है। इस पत्‍थर के मंदिर में उत्‍तर दिशा में कई प्रवेश द्वार है। यहां आकर श्रद्धालु कई देवी- देवताओं की प्रतिमा के दर्शन करते हैं। यहां स्थित देवी की मूर्ति को पिंडी के नाम से भी जाना जाता है जो सफेद संगमरमर की बनी हुई है।
मंदिर के पश्चिमी भाग में हनुमान जी का मंदिर है। मंदिर परिसर में एक बरगद का वृक्ष है जहां बच्‍चों का मुंड़न संस्‍कार किया जाता है। हर साल यहां तीन बार चिंतपूर्णी मेला लगता है जो महीने के अनुसार, चैत्र, सावन और अषाढ़ में लगाया जाता है। नवरात्र के दौरान यहां के माहौल में हलचल रहती है और नौ दिन तक श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
चिंतपूर्णी आरती 

चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी
जान को तरो भोली मा जान को तरो भोली मा
काली दा पुत्रा पवन दा घोड़ा |
सिंह पर भाई अस्वार, भोली मा ||
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी…
एक हाथ खड़ाग, दूजे मे खंडा |
टीजे त्रिशूल संभलो, भोली मा ||
चिंतपूर्णी चिंता डोर करनी…
चौथे हाथ चक्कर गाड़ा |
पाँचवे–छठे मुंडो की माला, भोली मा |
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी…
सातवे से रूणड मूंद विडरे |
आठवे से असुर संहारो, भोली मा ||
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी…
चंपे का बाग लगा आती सुंदर |
बैठी दीवान लगाए, भोली मा ||
चिंतपूर्णी चिंता डोर करनी…
हरी ब्रम्‍हा तेरे भवन विराजे |
लाल चंडोया बैठी तां, भोली मा ||
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी…
आवूखी घाटी विक्ता पैंदा |
तले बहे दरिया, भोली मया ||
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी…
सुमन चरण ध्यानू जस गेव |
भक्तां दी पाज निभाओ, भोली मा ||
चिंतपूर्णी

टिप्पणियाँ

Ad - Multiplex

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्री सरस्वती स्तुती - Shri Saraswati Stuti

माँ बृजेश्वरी देवी चालीसा - Brajeswari devi chalisa

Vishnu Ji ke 108 Name || विष्णुजी के 108 नाम