श्री जुगलकिशोर जी की आरती - Shri Jugalkishor Ji Ki


श्री जुगलकिशोर जी की आरती

आरती जुगलकिशोर कि कीजै |तन मन धन न्यौछावर कीजै |

रवि शशि कोटि बदन कि शोभा |ताहि निरखि मेरी मन लोभा |

गौर श्याम मुख निखरत रीझै |प्रभु को स्वरूप नयन भरि पीजै |

कंचन थार कपूर की बाती |हरि आए निर्मल भई छाती |

फूलन की सेज फूलन की माला |रतन सिंहासन बैठे नन्दलाला |

मोर मुकुट कर मुरली सोहे |नटवर वेष देखि मन मोहे |

ओढ़यो नील-पीत पटसारी,कुंज बिहारी गिरवरधारी |

आरती करत सकल ब्रजनारी |नन्दनन्दन वृषभानु किशोरी |

परमानन्द स्वामी अविचल जोड़ी |आरती जुगल किशोर की कीजै |

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