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शांति पाठ मंत्र (Shanti Path Mantra)

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शांति पाठ मंत्र ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:,  पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।  वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,  सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥  ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥ भवार्थ—   शान्ति: कीजिये, प्रभु त्रिभुवन में, जल में, थल में और गगन में  अन्तरिक्ष में, अग्नि पवन में, औषधि, वनस्पति, वन, उपवन में  सकल विश्व में अवचेतन में!  शान्ति राष्ट्र-निर्माण सृजन में, नगर, ग्राम में और भवन में  जीवमात्र के तन में, मन में और जगत के हो कण कण में  ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥

भगवान शिव के विचित्र प्रतीक चिन्ह और उनका रहस्य चलिए जानते है (Let us know his secret symbol of Lord Shiva is bizarre)

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पराणादि शास्त्रों एवं देवालयों में भगवान शिव का मखमण्डल एवं बाह्म स्वरूप अत्यन्त सुन्दर, मनोहारी, प्रशान्त दिव्य—तेजमय, पूर्णानन्दमय एवं कल्याणमय वर्णित किया गया हैं। उन्होंने अभयमुद्रा धारण की हुई हैं तथा उनके मुाखरिन्द पर मन्द—मन्द मुस्कान की छटा छाई रहती है। भगवान शिव के सौम्य एवं प्रशान्त स्वरूप उनके विराट् व्यक्तित्व के साथ अनेक रहस्यपूर्ण एवं आश्चर्यमय पदार्थों का समावेश परिलक्षित होता है। जैसे रूद्राण किए हैं। उनकी सवारी वृषभ है और शिव कमण्डलू व भिक्षा पात्रादि ग्रहण किए हैं। जटाओं में गंगा धारण किए हुए तथा कण्ठ में कालकूट का विष, जहरीले सॉंप एवं समस्त शरीर अंगों पर भस्म धारण किए रहते हैं। भागवान शिव के अंग—संग र​हने वाली देवी पार्वती, गण, देव एवं अन्य विभिन्न ​वस्तुएं किसी न किसी महान् संदेश या उद्देश्य या प्रतीकात्मक रूप को लक्षित करते हैं। भगवान् शिव का चिन्मय आदि स्वरूप शिवलिंग माना गया है, जबकि प्रकृति रूपा पार्वती शिवलिंग की पीठाधार है—     पठिमम्बामयं सर्व शिवलिंग च चिन्मयम्।। ब्रह्मण्ड की आकृति भी शिवलिंग ​रूप है। शिवलिंग पूजा में शिव और शिक्ति दोनों की पूजा हो