सुख-शांति पाने के लिए यह उपाय आजमाएं
भगवान् ये नही कहते की मेरी पूजा अराधना हर वक़्त करो परन्तु उन्हें याद करना और उनकी वन्दना करना एक पुत्र होने ने नाते हमारा परम कर्त्तव्य है।
सुख-शांति पाने के लिए यह मंत्र-
" गुणानेतानतीत्य त्रीन्देही देह समुद्भवान्। जन्ममृत्युजराहु: खैर्विमुक्तोकमृतमश्रुते ।। "
श्रीमद्भागवत गीता के 14वें अध्याय का यह श्लोक मानसिक अशांति एवं क्रोध को नष्ट करने का उत्तम उपाय है। इस श्लोक का प्रतिदिन प्रात: या सांय काल जब उचित वक़्त मिले तब उच्चारण करने से इन दोषों का निवारण होता है।
पुराणों में ये लिखा है की इस मंत्र का कम से कम 21 बार जाप करना चाहिए।
एक 101 बार " ओम कृष्णाय नम: " का जाप करें। धर्मशास्त्रीय दृष्टि से जाप के दिन लहसुन, शराब व मांस का सेवन पूर्णत: वर्जित है।
प्रवृत्ति वाले पुरुषों को यह जाप कृष्ण मंदिर या पीपल या वटवृक्ष के नीचे करना चाहिए और गुरुवार को पीले वस्त्र व धारण करने चाहिए रविवार को बैगनी वस्त्र धारण करने चाहिए।
बुजुर्ग व बीमार लोगों को शनिवार को इस श्लोक के जाप के पश्चात अपने हाथों से काले तिल, तेल का तिल साबूत सरसों व काले वस्त्रों का दान करना चाहिए।
रात्रि में जप के पश्चात भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करना चाहिए। यूं तो किसी भी मंत्र का जाप लाभदायक माना जाता है, लेकिन खासकर उपरोक्त अध्याय और श्लोक का जाप सकारात्मक परिणाम देता है।
जाप करने से जातक कुछ ही दिनों में मानसिक शांति महसूस करने लगता है। यहां तक कि परिवार के अन्य सदस्य भी इसका जाप करें तो घर में शांति और खुशहाली का वास होने लगता है। परिवारजनों में आत्मीयता बढऩे लगती है।
श्रीमद्भागवत गीता के 14वें अध्याय का यह श्लोक मानसिक अशांति एवं क्रोध को नष्ट करने का उत्तम उपाय है। इस श्लोक का प्रतिदिन प्रात: या सांय काल जब उचित वक़्त मिले तब उच्चारण करने से इन दोषों का निवारण होता है।
पुराणों में ये लिखा है की इस मंत्र का कम से कम 21 बार जाप करना चाहिए।
एक 101 बार " ओम कृष्णाय नम: " का जाप करें। धर्मशास्त्रीय दृष्टि से जाप के दिन लहसुन, शराब व मांस का सेवन पूर्णत: वर्जित है।
प्रवृत्ति वाले पुरुषों को यह जाप कृष्ण मंदिर या पीपल या वटवृक्ष के नीचे करना चाहिए और गुरुवार को पीले वस्त्र व धारण करने चाहिए रविवार को बैगनी वस्त्र धारण करने चाहिए।
बुजुर्ग व बीमार लोगों को शनिवार को इस श्लोक के जाप के पश्चात अपने हाथों से काले तिल, तेल का तिल साबूत सरसों व काले वस्त्रों का दान करना चाहिए।
रात्रि में जप के पश्चात भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करना चाहिए। यूं तो किसी भी मंत्र का जाप लाभदायक माना जाता है, लेकिन खासकर उपरोक्त अध्याय और श्लोक का जाप सकारात्मक परिणाम देता है।
जाप करने से जातक कुछ ही दिनों में मानसिक शांति महसूस करने लगता है। यहां तक कि परिवार के अन्य सदस्य भी इसका जाप करें तो घर में शांति और खुशहाली का वास होने लगता है। परिवारजनों में आत्मीयता बढऩे लगती है।
श्रीमद्भागवत गीता के 14वें अध्याय का यह श्लोक मानसिक अशांति एवं क्रोध को नष्ट करने का उत्तम उपाय है। इस श्लोक का प्रतिदिन प्रात: या सांय काल जब उचित वक़्त मिले तब उच्चारण करने से इन दोषों का निवारण होता है।
पुराणों में ये लिखा है की इस मंत्र का कम से कम 21 बार जाप करना चाहिए।
एक 101 बार " ओम कृष्णाय नम: " का जाप करें। धर्मशास्त्रीय दृष्टि से जाप के दिन लहसुन, शराब व मांस का सेवन पूर्णत: वर्जित है।
प्रवृत्ति वाले पुरुषों को यह जाप कृष्ण मंदिर या पीपल या वटवृक्ष के नीचे करना चाहिए और गुरुवार को पीले वस्त्र व धारण करने चाहिए रविवार को बैगनी वस्त्र धारण करने चाहिए।
बुजुर्ग व बीमार लोगों को शनिवार को इस श्लोक के जाप के पश्चात अपने हाथों से काले तिल, तेल का तिल साबूत सरसों व काले वस्त्रों का दान करना चाहिए।
रात्रि में जप के पश्चात भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करना चाहिए। यूं तो किसी भी मंत्र का जाप लाभदायक माना जाता है, लेकिन खासकर उपरोक्त अध्याय और श्लोक का जाप सकारात्मक परिणाम देता है।
जाप करने से जातक कुछ ही दिनों में मानसिक शांति महसूस करने लगता है। यहां तक कि परिवार के अन्य सदस्य भी इसका जाप करें तो घर में शांति और खुशहाली का वास होने लगता है। परिवारजनों में आत्मीयता बढऩे लगती है।
पुराणों में ये लिखा है की इस मंत्र का कम से कम 21 बार जाप करना चाहिए।
बुजुर्ग व बीमार लोगों को शनिवार को इस श्लोक के जाप के पश्चात अपने हाथों से काले तिल, तेल का तिल साबूत सरसों व काले वस्त्रों का दान करना चाहिए।
रात्रि में जप के पश्चात भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करना चाहिए। यूं तो किसी भी मंत्र का जाप लाभदायक माना जाता है, लेकिन खासकर उपरोक्त अध्याय और श्लोक का जाप सकारात्मक परिणाम देता है।
जाप करने से जातक कुछ ही दिनों में मानसिक शांति महसूस करने लगता है। यहां तक कि परिवार के अन्य सदस्य भी इसका जाप करें तो घर में शांति और खुशहाली का वास होने लगता है। परिवारजनों में आत्मीयता बढऩे लगती है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें